A lovely Hindi poem, with the English translation in Comments…
जलते हैं अरमान, जलते हैं अल्फाज़ मेरे
तुम तलक पहुँचती नहीं तपिश मेरी
पहले मुझमें चाँद नज़र आता था तुमको
बेअसर कब हो गयी कशिश मेरी
सहेज कर रखा है हर एक दर्द तुम्हारा
महबूब है मुझको अब ख़लिश मेरी
देर तलक देखी थी हमने राह तुम्हारी
इश्क़ से पर जीत गयी रंजिश मेरी
अब क्या यही है तुमसे मिलने की सूरत
कोई तुम से कर दे सिफारिश मेरी