English translation in Comments
तेरी आँखों में डूब के देखा फिर भी
माप सका न तेरी गहराई फिर भी
रह नहीं सकते बिन हमारे एक पल
करते हो क्यों हमसे लड़ाई फिर भी
जब मालूम था अंज़ाम-ए-मुहब्बत
क्यों अपनी जान फसाई फिर भी
क्यों नहीं मिलती है रौशनी हमें
खुद घर में आग लगाई फिर भी
मालूम है वो हैं बेमुरव्वत “अमित”
देता है क्या उनकी दुहाई फिर भी
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 157