a poem by hecblogger – Read the English translation in comments.
क्यों ढूँढूं मैं सौ बहाने जीने के
एक तुम हो और हैं आँखें तुम्हारी ।१।
पिला दे मुझे दो घूँट साकी
न उतरे उम्र भर तेरी ख़ुमारी ।२।
क्यों न हो मुझे आरज़ू तेरी
है ज़ुस्तज़ू में तेरी दुनिया सारी ।३।
काजल, बिंदी, खुली है ज़ुल्फ़ तुम्हारी
है आज मेरे क़त्ल की पूरी तैयारी ।४।
हो गयी हो तुम अब मेरी अमित
कर दो सूचना जनहित में जारी ।५।
In response to: Reena’s Exploration Challenge # 100
सुंदर
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